History of Sikandar Lodi, लोदी वंश का दूसरा शासक सिकंदर लोदी

history

History of Sikandar Lodi | सिकंदर लोदी का तिहास

History of Sikandar Lodi, सिकंदर लोदी, History of Lodi Dynasty लोदी वंश का दूसरा सम्राट था। अपने पिता बहलोल लोदी की मृत्यु के बाद वह दिल्ली के तल्ख पर 1489 ईसवी में सुल्तान सिकंदर शाह की उपाधि के साथ बैठा। सिकंदर लोदी ने अपने शासनकाल में अफगान अमीरों द्दारा चलाई जा रही सम्राज्य विभाजन और जातीय समानता की परंपरा को खत्म कर दिया।

History of Sikandar Lodi, सिकंदर लोदी, History of Lodi Dynasty
History of Sikandar Lodi, सिकंदर लोदी, History of Lodi Dynasty लोदी वंश का दूसरा सम्राट था।

शासन संभालने के बाद सिकंदर लोदी ने सबसे पहले जौनपुर जीता और फिर पूर्वी राजस्थान, बिहार, नागौर, चंदेरी, मंदरेल, धौलपुर समेत कई राज्यों को जीतकर लोदी वंश का विस्तार कर लिया, लेकिन वह ग्वालियर के किले पर अपने शासन के दौरान कब्जा नहीं कर सका, जिसको बाद में उसके पुत्र और लोदी वंश के अंतिम शासक इब्राहिम लोदी ने जीता।

सिकंदर लोदी की छवि एक उदार और आदर्श शासक के रुप में भी बनी हुई थी, उसने अपने शासनकाल में लोदी वंश के विस्तार के साथ ही अपनी प्रजा की भलाई के लिए भी कई काम किए। उन्होंने खेती और वाणिज्य के विकास लिए भी कई सराहनीय कदम उठाए एवं खेती और व्यापार पर लगने वाले कर को खत्म कर दिया।

इसके साथ ही उसने गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था करवाई एवं सभी को निष्पक्ष रुप से न्याय मिलने की भी उचित व्यवस्था की। सिकंदर लोदी को विद्धानों का संरक्षणदाता भी माना जाता था। सिंकदर लोदी धार्मिक रुप से असहिष्णु था, जिसने अपने अभियान के दौरान धौलपुर, चंबेरी और मंदरेल समेत कई मंदिरों को ध्वस्त कर दिया थी। इसके साथ ही उसने मोहरम मनाने एवं महिलाओं के मजार के दर्शन पर भी रोक लगा दी थी।

सिकंदर लोदी का इतिहास – Sikandar Lodi History in Hindi

  • पूरा नाम (Name) :-    सुल्तान सिकन्दर शाह
  • अन्य नाम :-     निजाम ख़ां, सिकन्दर लोदी
  • पिता का नाम :- (Father Name)   बहलोल लोदी (लोदी वंश के संस्थापक)
  • उपाधि :- (Award) 17 जुलाई, 1489 को ‘सुल्तान सिकन्दर शाह’ की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
  • मृत्यु :- (Death) 21 नवम्बर, 1517

लोदी वंश का दूसरा शासक सिकंदर लोदी, लोदी वंश के संस्थापक सुल्तान बहलोल लोदी का बेटा था। उनकी मां बीबी अंभा एक स्वर्णकार हिन्दू महिला थीं, हालांकि सिकंदर लोदी धर्म के प्रति असहिष्णु था। सिकंदर लोदी का वास्तविक नाम निजाम खां था, जिसने लोदी वंश के विस्तार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अपने पिता बहलोल लोदी की मृत्यु के बाद 1489 ईसवी मे, जब से लोदी वंश की सत्ता संभाली तब से लेकर उसने लोदी सम्राज्य का जमकर विस्तार किया और लोदी वंश को एक नए मुकाम पर पहुंचाया दिया। भारतीय इतिहास में सिकंदर लोदी को लोदी वंश का सबसे समझदार और सफल शासक मान जाता है।

हालांकि, सिकंदर लोदी के  बड़े भाई बर्बक शाह जो कि जौनपुर का राज्यपाल था बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि, सिकंदर लोदी, लोदी वंश का शासक बने। बर्बक शाह खुद लोदी वंश पर अपना शासन करना चाहता था इसलिए उसने अपने भाई सिंकदर लोदी के नामांकन के बाबजूद खुद भी शासक बनने का दावा किया था, लेकिन बाद में सिकंदर लोदी ने सूझबूझ से काम लेकर अपना एक प्रतिनिधि मंडल भेजकर मामले को शांत किया और एक बड़ा विद्रोह होने से बचा लिया।

लोदी वंश का किया विस्तार – Lodi Dynasty

लोदी वंश ने सुल्तान बनने के बाद सिकंदर लोदी ने सबसे पहले अपने बड़े भाई बर्बक शाह के खिलाफ मोर्चा खोल  दिया और जौनपुर पर जीत हासिल कर लोदी सम्राज्य में शामिल कर लिया। इसके बाद उसने अपने विजय रथ को आगे बढ़ाते हुए 1494 ईसवी में बनारस के पास हुए एक युद्ध में हुसैनशाह शर्की को पराजित कर दिया और पूरे बिहार में अपना कब्जा कर लिया।

इसके बाद सिकंदर लोदी ने तिरहुत के राजा को भी अपने अधीन कर लिया। वहीं सिकंदर लोदी यहां भी नहीं रुका, इसके बाद उसने राजपूत राज्यों पर कब्जा करना शुरु कर दिया, सिकंदर लोदी ने सबसे पहले नरवर, चंदेरी, नागौर, मंदरेल, उत्तरिरि, धौलपुर राज्यों पर विजय प्राप्त की।

इसके बाद सिकंदर लोदी ने राजपूत राज्यों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए 1504 ईसवी में आगरा को बसाया और यहां पर बादलगढ़ का किला बनवाया और आगरा को अपनी राजधानी बना लिया, वहीं सिकंदर लोदी की ग्वालियर के किले पर शासन करने की ख्वाहिश उसके जीते जी तो पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद उसके पुत्र इब्राहिम लोदी ने ग्वालियर पर जीत हासिल की।

योग्य और उदार शासक के रुप में सिकंदर लोदी

सिकंदर लोदी,लोदी वंश का सबसे सफल और योग्य शासक के रुप में उभरा। दरअसल, उसने अपने शासन काल में न सिर्फ लोदी वंश का विस्तार किया था, बल्कि उसने अपनी प्रजा की भलाई के लिए भी कई महत्वपूर्ण काम किए थे। उसने देशी अफगान नबाबों को भी नियंत्रण में रखने में सफलता हासिल की थी।

सिकंदर लोदी के पिता बहलोल लोदी ने अपनी मृत्यु के दौरान अपने सम्राज्य को अपने पुत्रों और करीबी रिश्तेदारों में बांट दिया था, जिसे सिकंदर लोदी ने काफी संघर्ष और लड़ाईयां लड़ने के बाद फिर से एक सफल राज्य बनाया।

सिकंदर लोदी द्धारा किए गए महत्वपूर्ण काम – Sikandar Lodi Work

सिकंदर लोदी ने अपने शासनकाल में कृषि व्यवस्था में सुधार करने के भी काफी सराहनीय प्रयास किए। उसने अनाज से चुंगी हटवा दी, जिससे खाद्य वस्तुएं सस्ती हो गईं। इसके साथ ही उसने खाद्यान्न से जकात कर को भी हटा दिया। सिकंदर लोदी ही लोदी वंश का इकलौता ऐसा सुल्तान था, जिसने जमीन में गढ़े हुए खजाने से कोई हिस्सा नहीं लिया था।

सिकंदर लोदी ने अपने शासनकाल में भूमि के लिए एक प्रमाणिक पैमाना ”गज-ए-सिकंदरी” का प्रचलन करवाया, जो कि 30 इंच का था। सिकंदर लोदी ने अपने शासन के समय में व्यापारिक करों को भी हटा दिया एवं राज्य में कड़ी कानून नीति के तहत व्यापारियों को संरक्षण प्रदान किया।

सिकंदर लोदी ने एक दयालु और उदार शासक के रुप में अपने शासनकाल में गरीबों के लिए फ्री में भोजन की व्यवस्था की। सिकंदर लोदी ने अपने शासनकाल में निष्पक्ष न्याय की व्यवस्था की। जब सिकंदर लोदी ने शासक संभाला तब उन्होंने दिल्ली में जमकर विकास करवाया उसे एक सफल राज्य बनाया। सिकंदर लोदी ने अफगान सरदारों पर नियंत्रण करने में सफलता हासिल की।

सिकंदर लोदी ने अपने शासनकाल में शिक्षा को महत्व दिया और इसके लिए उसने कई मस्जिदों को सरकारी संस्था के रूप में विकसित कर उन्हें शिक्षा का केंद्र बनाया गया। इसके अलावा उसने मदरसों को भी राजकीय संरक्षण में लिया एवं वहां गैर धार्मिक शिक्षा भी दी।

सिकंदर लोदी फारसी का ज्ञाता था, उसके आदेश पर एक आयुर्वेदिक ग्रंथ का फारसी में अनुवाद किया गया, जिसका नाम फरंहगे सिकंदरी रखा गया। इसके अलावा सिकंदर लोदी ने खुद भी फारसी भाषा में संगीत पर एक ग्रंथ ”लज्जत-ए-सिकंदरशाही” लिखा था।

एक असहिष्णु शासक के रुप में सिकंदर लोदी – King Sikandar Lodi

सिकंदर लोदी धार्मिक रूप से एक असहिष्णु सम्राट था, सिकंदर ने अपने विजय अभियान के दौरान हिंदू धर्म के धौलपुर, चंबेरी, मंदरेल आदि के मंदिरों को नष्ट कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने इस्लाम में महिलाओं के पीरों और संतों की मजार पर जाने पर रोक लगा थी।

यही नहीं सिकंदर लोदी ने अपने शासनकाल में मुसलमानों के मोहर्रम मनाने एवं ताजिया निकालने पर भी रोक लगा दी थी। वहीं सिकंदर लोदी अपनी सुंदरता को बरकरार रखने के लिए कभी दाढ़ी नहीं रखता था।

कई महान विद्धानों का संरक्षण दाता था सिकंदर लोदी

सिकंदर शाह लोदी एक कुशल शासक होने के साथ-साथ एक शिक्षित और महान विद्धान शासक भी था। सिकंदर लोदी के दरबार में कई उच्च कोटी के विद्धान भी संरक्षण लेने के लिए आते थे। इतिहासकारों के मुताबिक सिकंदर लोदी के दरबार में हर रात को करीब 70 सुसंस्कृति विद्धान अलग-अलग विषयों पर अपनी राय देते थे। वहीं सिकंदर लोदी का उपनाम भी गुलरुखी था, इस उपनाम से वह कविताएं भी लिखता था।

सिकंदर लोदी की मृत्यु – Sikandar Lodi Death

लोदी वंश के सबसे सफल शासक सिकंदर लोदी की जिंदगी के आखिरी दिनों में उसे गले की बीमारी ने जकड़ लिया था, जिसकी वजह से उन्होंने 21 नवंबर, 1517 ईसवी में अपने प्राण त्याग दिए थे। सिकंदर लोदी की मौत से उनकी प्रजा को काफी कष्ट हुआ था।

वहीं सिकंदर लोदी की मौत के बाद उसके पुत्र इब्राहिम लोदी को लोदी वंश का उत्तराधिकारी बनाया गया था, जो कि लोदी वंश का आखिरी शासक था। उसके बाद हिन्दुस्तान के सिंहासन पर मुगलों ने कई सालों तक राज किया था।

सिकंदर लोदी का मकबरा – Sikandar Lodi Tomb

सिकंदर लोदी के पुत्र इब्राहिम लोदी ने दिल्ली के लोदी गार्डन में सिकंदर लोदी का शानादार मकबरा बनाया था। यह मकबरा अष्टभुजाकार में है, जो देखने में बेहद आर्कषक लगता है।

इस तरह सिकंदर लोदी ने अपने पूरी जिंदगी अपनी प्रजा की भलाई के बारे में सोचा और लोदी सम्राज्य के विस्तार के लिए काफी संघर्ष किए। इसलिए सिकंदर लोदी को लोदी वंश का सबसे कुशल और सफल  शासक माना जाता है।

One response to “History of Sikandar Lodi, लोदी वंश का दूसरा शासक सिकंदर लोदी”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *