‘मैसूर का शेर’ टिपू सुल्तान का इतिहास | Tiger of Mysore Tipu Sultan History in Hindi
मैसूर साम्राज्य के शासक टीपू सुल्तान – Tipu Sultan के बहादुरी के किस्से कौन नहीं जानता। इतिहास के पन्नों में टीपू सुल्तान को “मैसूर का शेर” – Tiger of Mysore बताया गया है। टीपू सुल्तान एक कुशल, वीर और बहादुर वीर थे। जिनमें वीरता और साहस कूट-कूट कर भरा था। टीपू सुल्तान की वीरता के आगे अंग्रेजों को भी घुटने टेकने पडे।
इसके अलावा वे एक बेहद प्रशंसनीय रणनीतिकार भी थी, अपनी रणनीति से ही टीपू सुल्तान हमेशा अपने अधीन प्रदेशों को जीतने की कोशिश करते थे। अंग्रेजों के खिलाफ कई लड़ाई में वीर योद्धा टीपू सुल्तान – Tipu Sultan का अहम योगदान रहा।
इसके अलावा टीपू सुल्तान – Tipu Sultan को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी जाना जाता था।
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टिपू सुल्तान के बारे मे महत्वपूर्ण जानकारी – Tipu Sultan Information in Hindi
- संपूर्ण नाम (Full Name) सुल्तान सईद वाल्शारीफ फतह अली खान बहादुर साहब (टिपू सुल्तान)
- जन्म (Date of Birth) 1 दिसंबर 1750।
- जन्मस्थल (Birth Place) देवनाहल्ली, बैंगलोर (कर्नाटका राज्य)
- माता का नाम (Mother Name) फातिमा फख्र-उन-निसा।
- पिता का नाम (Father Name) हैदर अली।
- पत्नी/पत्नियो का नाम (Spouse) खादिजा जमान बेगम, सिंधू सुल्तान इत्यादि।
- धर्म (Religion) इस्लाम (सुन्नी इस्लाम)
- भाषाज्ञान (Known Languages) अरबी, उर्दू, कन्नडा, हिंदी, फारसी।
- राजधानी (Capital) श्रीरंगपट्टनम।
- संतान की कुल संख्या (Children) 15
- प्रमुख पहचान(Main Identity) 1, युध्द मे अग्निबाण का उपयोग करनेवाला प्रथम भारतीय शासक 2. मैसूर शासक।
- प्रमुख युद्ध और उनकी संख्या(Main Wars and Their Numbers) मैसूर युद्ध, कुल 4 युध्द।
- मृत्यू (Death) 4 मई 1799।
टिपू सुल्तान का इतिहास – Tipu Sultan History
बहादुर और योग्य शासक टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने मंगलौर की संधि जो कि द्धितीय एंग्लो-मैसूर युद्ध को खत्म करने के लिए थी, इसमें उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ मिलकर हस्ताक्षर किए।
इसके साथ ही आपको बता दें कि यह भारत का ऐतिहासिक मौका था, जब किसी भारतीय वीर शासक ने अंग्रेजों पर हुकूमत की थी।
कुशल वीर योद्धा टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने अपने पिता हैदरअली की मौत के बाद मैसूर का राजपाठ संभाला और अपने शासनकाल में कई बदलाव लाकर कई प्रदेशों में जीत हासिल की।
इसके साथ ही योग्य शासक टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने लोहे से बने मैसूरियन रॉकेट (Mysorean Rockets) का भी विस्तार किया था। वहीं टीपू सुल्तान – Tipu Sultan के रॉकेटों के सामने कई सालों तक भारत में हुकूमत करने वाली अंग्रेजी सेना भी थर्राती थी। टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने युद्ध के मैदान में पहली बार रॉकेट का इस्तेमाल किया था।
जिसके बाद टीपू सुल्तान – Tipu Sultan के इस हथियार ने भविष्य को नई संभावनाएं दीं और कल्पना की उड़ान दी। वहीं इससे आप टीपू सुल्तान – Tipu Sultan की भविष्य को लेकर दूरदर्शिता का अंदाजा लगा सकते हैं।
आपको बता दें कि टीपू सुल्तान – Tipu Sultan की रॉकेज टेक्नोलॉजी के बारे में पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक “अग्नि की उड़ान” (Agni Ki Udaan) में भी जिक्र किया है।
फिलहाल टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने इस तरह अपने बेहतरीन हथियारों का इस्तेमाल कर कई युद्धों में तारीफ ए-काबिल प्रदर्शन कर जीत हासिल की थी। एक योग्य शासक होने के अलावा टीपू सुल्तान – Tipu Sultan एक विद्धान, कुशल, सेनापति और महान कवि थे। जो अक्सर कहते थे कि
“शेर की एक दिन की जिंदगी गिधड़ की एक हजार साल से बेहतर होती है”
वीर योद्धा टीपू सुल्तान का जन्म – Tipu Sultan ki Kahani
10 नवम्बर 1750 में बेंगलुरु के देवानाहल्ली में जन्मे टीपू सुल्तान – Tipu Sultan का नाम टीपू सुल्तान – Tipu Sultan आरकोट के औलिया टीपू मस्तान के नाम पर रखा गया। टीपू सुल्तान – Tipu Sultan को उनके दादाजी फ़तेह मुह्म्म्द के नाम पर फ़तेह अली भी कहा जाता था। वहीं इस तरह टीपू सुल्तान – Tipu Sultan का पूरा नाम सुल्तान सईद वाल्शारीफ फतह अली खान बहादुर शाह टीपू था।
टीपू सुल्तान का परिवार – Tipu Sultan Family
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan के पिता का नाम (Tipu Sultan Father Name) हैदर अली था जो कि दक्षिण भारत में मैसूर के साम्राज्य के एक काबिल और सैन्य अधिकारी थे। इनकी माता का नाम (Tipu Sultan Mother Name) फातिमा फख-उन निसा था और टीपू सुल्तान – Tipu Sultan इन दोनों के बड़े पुत्र थे।
उनके पिता हैदर अली साल 1761 में अपनी बुद्धिमत्ता और कुशलता के बल पर मैसूर साम्राज्य के वास्तविक शासक के रूप में सत्ता में काबिज हुए और उन्होनें अपने कौशल और योग्यता के बल पर अपने रूतबे से मैसूर राज्य में सालों तक शासन किया।
वहीं उनके पिता की 1782 में मौत के बाद वे टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने मैसूर साम्राज्य का राजसिंहासन संभाला। वहीं उनका विवाह सिंध सुल्तान (Tipu Sultan Wife) के साथ किया गया, हालांकि इसके बाद उन्होंने कई और भी शादियां की। उनके अपनी अलग-अलग बेगमों से कई बच्चे भी हुए।
टीपू सुल्तान की शिक्षा – Tipu Sultan Education
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan के पिता हैदर अली खुद पढ़े-लिखे नहीं थे लेकिन उन्होनें टीपू सुल्तान – Tipu Sultan को वीर और कुशल योद्धा बनाने पर खास ध्यान दिया। यहां तक कि हैदर अली ने टीपू की शिक्षा के लिए योग्य शिक्षकों की नियुक्ति भी की थी।
दरअसल हैदर अली के फ्रांसिसी अधिकारियों के साथ राजनीतिक संबंध थे इसलिए उन्होनें अपने बेटे को सेना में कुशल फ्रांसिसी अधिकारियों द्धारा राजनीतिक मामलों में प्रशिक्षित किया गया था।
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan को हिंदी, उर्दू, पारसी, अरबी, कन्नड़ भाषाओं के साथ-साथ कुरान, इस्लामी न्यायशास्त्र, घुड़सवारी, निशानेबाजी और तलवारबाजी की भी शिक्षा दी गई थी।
आपको बता दें कि टीपू सुल्तान – Tipu Sultan को बचपन से ही शिक्षाविदों में बहुत अधिक रुचि थी। टीपू सुल्तान – Tipu Sultan अच्छी तरह से शिक्षित होने के साथ ही एक कुशल सैनिक भी थे। टीपू एक धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति थे और वह सभी धर्मों को मान्यता देते थे। कुछ सिद्धांतों के द्वारा उन्होंने हिंदुओं और ईसाइयों के धार्मिक उत्पीड़न का विरोध भी किया था।
टीपू सुल्तान का प्रारंभिक जीवन – Tipu Sultan Biography
महज 15 साल की उम्र में ही टीपू सुल्तान – Tipu Sultan युद्ध कला में निपुण हो गए थे। और उन्होंने अपने पिता हैदर अली के साथ कई सैन्य अभियानों में भी हिस्सा लिया। 1766 में उन्होनें ब्रिटिश के खिलाफ हुई मैसूर की पहली लड़ाई में अपने पिता के साथ संघर्ष किया था और अपनी कौशल क्षमता और बहादुरी से अंग्रेजों को खदेड़ने में भी कामयाब हुए।
वहीं इस दौरान उनके पिता हैदर अली, पूरे भारत में सबसे शक्तिशाली शासक बनने के लिए मशहूर हो गए थे। अपने पिता हैदर अली के बाद शासक बनने के बाद टीपू ने उनकी नीतियों को जारी रखा और अंग्रेजों को अपनी कुशल प्रतिभा से कई बार पटखनी दी, इसके अलावा निज़ामों को भी कई मौकों पर धूल चटाई।
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने अपने पिता के मैसूर साम्राज्य को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में पड़ने से बचाने के लिए वीरता के साथ प्रदर्शन किया और सूझबूझ से रणनीति बनाई। वे हमेशा अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहते थे। इसके साथ ही वे अपने अभिमानी और आक्रामक स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे।
टिपू सुल्तान का प्रारंभिक जीवन – Tipu Sultan Early Life.
महज 15 साल की उम्र में ही टीपू सुल्तान – Tipu Sultan युद्ध कला में निपुण हो गए थे। और उन्होंने अपने पिता हैदर अली के साथ कई सैन्य अभियानों में भी हिस्सा लिया। 1766 में उन्होनें ब्रिटिश के खिलाफ हुई मैसूर की पहली लड़ाई में अपने पिता के साथ संघर्ष किया था और अपनी कौशल क्षमता और बहादुरी से अंग्रेजों को खदेड़ने में भी कामयाब हुए।
वहीं इस दौरान उनके पिता हैदर अली, पूरे भारत में सबसे शक्तिशाली शासक बनने के लिए मशहूर हो गए थे। अपने पिता हैदर अली के बाद शासक बनने के बाद टीपू ने उनकी नीतियों को जारी रखा और अंग्रेजों को अपनी कुशल प्रतिभा से कई बार पटखनी दी, इसके अलावा निज़ामों को भी कई मौकों पर धूल चटाई।
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने अपने पिता के मैसूर साम्राज्य को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में पड़ने से बचाने के लिए वीरता के साथ प्रदर्शन किया और सूझबूझ से रणनीति बनाई। वे हमेशा अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहते थे। इसके साथ ही वे अपने अभिमानी और आक्रामक स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे।
टिपू सुल्तान की पत्नियाँ और संताने – Tipu Sultan spouse and Children’s
वैसे तो टिपू सुल्तान ने बहुत सी शादियाँ की थी जिनमे से इनके प्रमुख पत्नियों के नाम खादिजा जमान बेगम, सिंधू सुल्तान इत्यादि की जानकारी ऐतिहासिक स्त्रोतों से प्राप्त होती है। इनके कुल 15 पुत्रो के बारे में जानकारी मौजूद है, जिनके नाम निम्नलिखित तौर पर है –
टिपू सुल्तान के कुल 15 पुत्रो के नाम – Tipu Sultan Children Name
- मुहम्मद निजाम उद – दिन – खान सुल्तान
- गुलाम अहमद खान सुल्तान
- शहजादा हैदर अली
- गुलाम मोहम्मद सुल्तान साहिब
- मिराज उद-दिन-अली खान सुल्तान
- अब्दुल खलिक़ खान सुल्तान
- सरवर उद – दिन–खान सुल्तान
- मुहम्मद शुक्रूउल्लाह खान सुल्तान
- मुनीर उद-दिन-खान सुल्तान
- मुही उद-दिन-खान सुल्तान
- मुहम्मद सुभान खान सुल्तान
- मुहम्मद यासीन खान सुल्तान
- मुईज उद-दिन-खान सुल्तान
- हशमथ अली खान सुल्तान
- मुहम्मद जमाल उद – दिन-खान सुल्तान
टिपू सुलतान के जीवनकाल के प्रमुख युध्द – List of Tipu Sultan War
मैसूर शासन और इस्ट इंडिया कंपनी के बिच हुए प्रमुख युध्द : War Between East India Company and Mysore Kingdom
- प्रथम एंग्लो-मैसूर युध्द (First Anglo-Mysore War, 1966)
- द्वितीय एंग्लो – मैसूर युध्द (Second Anglo – Mysore War, 1780)
- तृतीय एंग्लो – मैसूर युध्द (Third Anglo – Mysore War, 1790)
- चतुर्थ एंग्लो – मैसूर युध्द (Fourth Anglo – Mysore War, 1789)
- मराठा साम्राज्य और मैसूर शासन के बिच हुए प्रमुख युध्द : Maratha Mysore War
- नारगुंद का युध्द (Battle of Nargund, 1785)
- अदोनी युध्द (Adoni Siege, 1786)
- सावनुर युध्द (Savanur Battle, 1786)
- बदामी का युध्द (Battle of Badami, 1786)
- बहादूर बेन्दा का युध्द (Bahadur Benda Siege, 1787)
- गजेंद्रगढ युध्द (Gajendragad War, 1786)
टिपू सुल्तान का शासनकाल – Tipu Sultan Real Story
- टीपू सुल्तान – Tipu Sultan बहादुर होने के साथ-साथ दिमागी सूझबूझ से रणनीति बनाने में भी बेहद माहिर था। उसने अपने शासनकाल में कभी हार नहीं मानी और अंग्रेजों को हारने के लिए मजबूर कर दिया।
- आपको बता दें कि टीपू सुल्तान – Tipu Sultan अपने शासनकाल में सम्मानित व्यक्तित्व वाले एक साधारण नेता के रूप में जाने जाते थे। वहीं टीपू को अपनी प्रजा से बहुत ज्यादा सम्मान मिला।
- टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ‘जेकबिन क्लब’ के संस्थापक सदस्य थे, जिन्होंने फ्रांसीसी के प्रति अपनी निष्ठा कायम ऱखी। वह अपने पिता की तरह एक सच्चे देशभक्त थे।
- इसके अलावा महान योद्धा टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने अपने शासनकाल में अंग्रेजों के खिलाफ फ्रांसीसी, अफगानिस्तान के अमीर और तुर्की के सुल्तान जैसे कई अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों की सहायता कर उनका भरोसा जीता।
- यहां हम आपको टीपू सुल्तान – Tipu Sultan की शासनकाल के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बता रहे हैं जो कि नीचे लिखे गए हैं।
- टीपू ने ब्रिटिश की ईस्ट इंडिया कंपनी के विस्तार से होने वाले खतरे का अनुमान पहले ही व्यक्त किया था। टीपू और उनके पिता हैदर अली ने साल 1766 में हुए पहले मैसूर युद्ध में अंग्रेजों को हरा दिया था।
इसके बाद साल 1779 में अंग्रेजों ने फ्रांसिसी बंदरगाह पर कब्जा कर लिया जो कि टीपू संरक्षण के तहत था। टीपू सुल्तान – Tipu Sultan के पिता हैदर अली ने साल 1780 में बदला लेने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला किया। और अपने बेटे टीपू सुल्तान – Tipu Sultan के साथ 1782 के द्वितीय मैसूर युद्ध में भी अंग्रेजों को जोरदार पटखनी दी। वहीं इस दौरान द्धितीय एंग्लो-मैसूर युद्ध के रूप में एक अभियान भी चलाया गया, जिसमें उन्होंने सफलता हासिल की। इस युद्ध को खत्म करने के लिए उन्होनें समझदारी से अंग्रेजों के साथ मंगलौर की संधि कर ली थी। इस दौरान हैदर अली कैंसर जैसी घातक बीमारी से पीड़ित हो गए थे और साल 1782 में उन्होनें अपनी आखिरी सांस ली।
आपको बता दें कि अपने पिता की मौत के बाद बड़े पुत्र होने के नाते टीपू सुल्तान – Tipu Sultan को मैसूर साम्राज्य का राजसिंहासन पर बिठाया गया। 22 दिसंबर 1782 में टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने अपने पिता हैदर अली की जगह ली और मैसूर साम्राज्य के शासक बन गए। राजपाठ संभालने के बाद टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने अपने शासन में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए और अंग्रेजों के अग्रीमों की जांच करने के लिए मराठों और मुगलों के साथ गठबंधन कर सैन्य रणनीतियों पर काम किया।
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan अपनी योग्यता और कुशल रणनीतियों के लिए अपने शासनकाल के दौरान एक बेहतर और कुशल शासक साबित हुए। आपको बता दें कि जब टीपू सुल्तान – Tipu Sultan मैसूर साम्राज्य को संभाल रहे थे तो उन्होंने अपनी हर एक जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभाया। अपने शासनकाल में टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने अपने पिता की अधूरी पड़ी हुई परियोजनाएं जैसे सड़कें, पुल, प्रजा के लिए मकान और बंदरगाह बनवाना जैसे कामों को पूरा किया। इसके अलावा रॉकेट टैक्नोलॉजी से उन्होंने न सिर्फ कई सैन्य परिवर्तन किए बल्कि खुद का दूरदर्शी होने का प्रमाण भी दिया। युद्ध में सबसे पहले टाइगर टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने रॉकेट का इस्तेमाल किया ताकि इस प्रभावशाली हथियार से शत्रुओं को पराजित किया जा सके।
साहसी योद्धा के रूप के टीपू सुल्तान – Tipu Sultan की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी थी। इसी को देखते हुए इस महान योद्धा ने अपने क्षेत्र का विस्तार करने की योजना बनाई। इसके साथ ही त्रवंकोर राज्य को हासिल करने का सोचा। आपको बता दें कि त्रवंकोर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का एक सहयोगी राज्य था। वहीं इस राज्य को हासिल करने की लड़ाई की शुरुआत साल 1789 में हुई थी। इस तरह यहां से ही तीसरे एंग्लो-मैसूर युद्ध की शुरुआत हुई।
टीपू जैसे बहादुर शासक का सामना करने के लिए त्रवंकोर के महाराजा ने ईस्ट इंडिया कंपनी से मद्द मांगी। जिसके बाद लार्ड कार्नवालिस ने इस महान योद्धा को पराजित करने के लिए एक मजबूत सैन्य बल का निर्माण किया और हैदराबाद के निजामों के साथ गठबंधन कर लिया।
इसके बाद साल 1790 में इस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने टीपू सुल्तान – Tipu Sultan पर हमला किया और जल्द ही कोयंबटूर पर ज्यादा से ज्यादा नित्रंयण स्थापित कर लिया।जिसके बाद टीपू ने भी कार्नवालिस पर हमला किया। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह रही कि वे अपने इस अभियान में सफलता नहीं हासिल कर सके।
वहीं यह लड़ाई करीब 2 साल तक जारी रही। साल 1792 में इस लड़ाई को खत्म करने के लिए टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने श्रीरंगपट्नम की संधि पर साइन कर दिए। इस दौरान उन्हें मालाबार और मंगलौर को मिलाकर अपने प्रदेशों को खोना भी पड़ा था।
बहरहाल टीपू सुल्तान – Tipu Sultan बेहद अभिमानी और एक आक्रामक स्वभाव के शासक थे, इसलिए उसने अपने कई प्रदेशो को खोने के बाद भी अंग्रेजों के साथ अपनी लड़ाई खत्म नहीं की। साल 1799 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मराठों और निजामों के साथ गठबंधन कर टीपू सुल्तान – Tipu Sultan के मैसूर राज्य पर हमला किया। यह चौथा एंग्लो-मैसूर युद्ध था। जिसमें ब्रिटिश लोगों ने मैसूर की राजधानी श्रीरंगपट्टनम पर अपना कब्जा जमा लिया था। इस तरह महान शासक टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने अपने शासनकाल में तीन बड़ी लड़ाइयां लड़ीं और अपना नाम हमेशा के लिए अपना नाम वीर योद्धा के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज करा लिया।
जब महान शासक टीपू सुल्तान हुए वीरगति को प्राप्त – Tipu Sultan Death
- ‘फूट डालो, शासन करो’ की नीति चलाने वाले अंग्रेज़ों ने संधि करने के बाद भी टीपू सुल्तान – Tipu Sultan से गद्दारी कर डाली। ईस्ट इंडिया कंपनी ने हैदराबाद के निजामों के साथ मिलकर चौथी बार टीपू पर ज़बरदस्त हमला किया और इस लड़ाई में महान योद्धा टीपू सुल्तान – Tipu Sultan की हत्या कर दी।
- इस तरह 4 मई साल 1799 में मैसूर का शेर श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। इसके बाद इनके शव को मैसूर के श्रीरंगपट्टनम में दफन किया गया। ये भी कहा जाता है कि टीपू सुल्तान – Tipu Sultan की तलवार (Tipu Sultan ki Talwar) को ब्रिटशर्स ब्रिटेन ले गए।
- इस तरह वीरयोद्धा टीपू सुल्तान – Tipu Sultan हमेशा के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए और इसके बाद इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए उनकी वीरगाथा के किस्से छप गए।
- महायोद्धा टीपू सुल्तान – Tipu Sultan की मौत के बाद 1799 ई. में अंग्रेज़ों ने मैसूर राज्य के एक हिस्से में उसके पुराने हिन्दू राजा के जिस नाबालिग पौत्र को गद्दी पर बैठाया, उसका दीवान पुरनिया को नियुक्त कर दिया गया था।
वीर योद्धा टीपू सुल्तान के विकास कार्य – Development Works By Tipu Sultan
वीर योद्धा टीपू सुल्तान ने अपने शासनकाल में कई विकास काम किए। यही वजह थी कि उन्हें अपने राज्य की प्रजा से बहुत सम्मान भी मिला है। टीपू सुल्तान – Tipu Sultan की शहादत के बाद अंग्रेज़ श्रीरंगपट्टनम से दो रॉकेट ब्रिटेन के ‘वूलविच संग्रहालय’ की आर्टिलरी गैलरी में प्रदर्शनी के लिए रखी थी।
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan जब मैसूर की कमान संभाल रहे थे, तब उन्होंने जल भंडारण के लिए कावेरी नदी के उस स्थान पर एक बांध की नींव रखी। टीपू ने अपने पिता हैदर द्वारा शुरू की गई ‘लाल बाग परियोजना’ को सफलतापूर्वक पूरा किया।
टीपू निःसन्देह एक कुशल प्रशासक और योग्य सेनापति था। उसने ‘आधुनिक कैलेण्डर’ की भी शुरुआत की और सिक्का ढुलाई तथा नाप-तोप की नई प्रणाली का इस्तेमाल किया था। वह दूरदर्शी शासक था, उसने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम में ‘स्वतन्त्रता का वृक्ष’ लगवाया और साथ ही ‘जैकोबिन क्लब’ का सदस्य भी बना। इसके अलावा आपको बता दें कि वे खुद को नागरिक टीपू पुकारता था।
टिपू सुल्तान का किला – Tipu Sultan Fort
- ‘टीपू के क़िला’ को पालक्काड किले (Palakkad Fort) के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल यह पालक्काड टाउन के बीचोबीच स्थित है। इसके साथ ही यह किला पालक्कड़ जिले की लोकप्रिय और ऐतिहासिक इमारत है। आपको बता दें कि यह किला साल 1766 में बनवाया गया था।
- मैसूर के राजाओं द्वारा किले का इस्तेमाल महत्वपूर्ण सैनिक गतिविधियों के लिए किया जाता था। किले के पास में एक खुला मैदान स्थित है, जिसे स्थानीय लोग कोट्टा मैदानम या किले का मैदान के नाम से जानते हैं।
- ऐतिहासिक मान्यताओं के मुताबिक यह मैदान टीपू सुल्तान – Tipu Sultan का अस्तबल था जहां पर सेनाओं के जानवर पाले जाते थे। वहीं अब इस मैदान का इस्तेमाल सभाओं, खेल प्रतियोगिताओं और प्रदर्शनियों के लिये होता है।
- आपको बता दें कि अब इस ऐतहासिक धरोहर टीपू के किले की देखरेख भारतीय पुरातात्विक विभाग करता है। टीपू के पिता और मैसूर के सुल्तान हैदर अली ने इस क़िले को ‘लाइट राइट’ यानी ‘मखरला’ से बनवाया था।
- वहीं जब हैदर अली ने मालाबार और कोच्चि में विजय प्राप्त कर अपने अधीन कर लिया था, तब उन्होंने इस किले का निर्माण करवाया था। जिसके बाद मैसूर साम्राज्य के शासक टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने इस किले पर अपना हक जमाया था।
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan का पालक्काड क़िला, केरल में शक्ति-दुर्ग था, जहां से वह ब्रिटिशों के ख़िलाफ़ लड़ते थे। इसी तरह साल 1784 में एक युद्ध में कर्नल फुल्लेर्ट के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों ने 11 दिन दुर्ग को घेर कर रखा और अपने अधीन कर लिया। फिर कोष़िक्कोड़ के सामूतिरि ने इस क़िले को जीत लिया। 1790 में ब्रिटिश सैनिकों ने क़िले पर फिर से अधिकार कर लिया। बंगाल में ‘बक्सर का युद्ध’ और दक्षिण में मैसूर का चौथा युद्ध को जीत कर भारतीय राजनीति पर अंग्रेज़ों ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी।
महान शासक टिपू सुल्तान से जुडे़ खास और रोचक तथ्य – Facts about Tipu Sultan
- टीपू सुल्तान – Tipu Sultan अपनी कुशलता और महानता के लिए जाने जाते हैं। वे एक महान योद्धा थे, टीपू सुल्तान – Tipu Sultan की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। वहीं टीपू सुल्तान – Tipu Sultan को दुनिया का पहला मिसाइल मेन भी कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने पहले रॉकेट का इस्तेमाल किया था। सूत्रों के मुताबिक लंदन के मशहूर साइंस म्यूजियम में टीपू सुल्तान – Tipu Sultan के रॉकेट रखे हुए हैं।
- टीपू सुल्तान – Tipu Sultan का पूरा नाम ‘सुल्तान फतेह अली खान शाहाब’ था और उनका यहा नाम उनके पिता हैदर अली ने रखा था। वे भी एक कूटनीतिज्ञ और दूरदर्शिता के पक्के थे।
- योग्य और कुशल शासक टीपू सुल्तान – Tipu Sultan एक बादशाह बन कर पूरे देश पर राज करना चाहता था, लेकिन उस महायोद्धा की ये इच्छा पूरी नही हुई।
- टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने महज 18 साल की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ अपनी पहली जंग जीती थी।
मैसूर शासन और इस्ट इंडिया कंपनी के बिच हुए प्रमुख युध्द : War Between East India Company and Mysore Kingdom
- प्रथम एंग्लो- मैसूर युध्द (First Anglo- Mysore War, 1766)
- द्वितीय एंग्लो – मैसूर युध्द (Second Anglo – Mysore War, 1790)
- तृतीय एंग्लो – मैसूर युध्द (Third Anglo – Mysore War, 1790)
- चतुर्थ एंग्लो – मैसूर युध्द (Fourth Anglo – Mysore War, 1789)
मराठा साम्राज्य और मैसूर शासन के बिच हुए प्रमुख युध्द : Maratha Mysore War
- नारगुंद का युध्द (Battle of Nargund, 1785)
- अदोनी युध्द (Adoni Siege, 1786)
- सावनुर युध्द (Savanur Battle, 1786)
- बदामी का युध्द (Battle of Badami, 1786)
- बहादूर बेन्दा का युध्द (Bahadur Benda Siege, 1787)
- गजेंद्रगढ युध्द (Gajendragad War, 1786)
टिपू सुल्तान का शासनकाल – Tipu Sultan Real Story
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan बहादुर होने के साथ-साथ दिमागी सूझबूझ से रणनीति बनाने में भी बेहद माहिर था। उसने अपने शासनकाल में कभी हार नहीं मानी और अंग्रेजों को हारने के लिए मजबूर कर दिया।
आपको बता दें कि टीपू सुल्तान – Tipu Sultan अपने शासनकाल में सम्मानित व्यक्तित्व वाले एक साधारण नेता के रूप में जाने जाते थे। वहीं टीपू को अपनी प्रजा से बहुत ज्यादा सम्मान मिला।
टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ‘जेकबिन क्लब’ के संस्थापक सदस्य थे, जिन्होंने फ्रांसीसी के प्रति अपनी निष्ठा कायम ऱखी। वह अपने पिता की तरह एक सच्चे देशभक्त थे।
इसके अलावा महान योद्धा टीपू सुल्तान – Tipu Sultan ने अपने शासनकाल में अंग्रेजों के खिलाफ फ्रांसीसी, अफगानिस्तान के अमीर और तुर्की के सुल्तान जैसे कई अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों की सहायता कर उनका भरोसा जीता।
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