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उदयगिरि की गुफाओं का निर्माण गुप्त काल में हुआ था
ओरछा में चतुभुज मंदिर का निमार्ण राजा विक्रमादित्य द्वारा कराया गय
गुजरी महल और ग्वालियर महल मान सिंह तोमर द्वारा बनवाये गये थे
भीमबेटिका पुरापाषाण काल की है
हालों घाटी और बजंर घाटी कान्हा किसली उद्यान में है
जार्ज कैसल भवन और संख्या सागर झील माधव राष्ट्रीय उद्यान में है
हाइलैण्डस ऑफ सेन्ट्रल इण्डिया पुस्तक जे.फारसायथ ने लिखी है
वाइल्ड एनिमल इन सेन्ट्रल इण्डिया में लेखक उनबर ब्रान्डेर है
बॉधवगढ़ उद्यान(1968) पहले शहडोल जिले में आते थे अव ये उमरिया में आता
बॉधवगढ़ उद्यान में 8 वर्ग किलोमीटर में शेर पाया जाता है
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान केन नदी के किनारे है
खरमोर पक्षी के लिये सैनाला और सरदारपुर तथा सोन चिडिया के लिये करेरा 3
नौरीदेही अभ्यारण सागर में है
बारहसिंगा कों 1 नवम्बर 1981 को राजकीय पशुघोषित किया गया था
म.प्र की 25 वी वर्षगाठ पर दूधराज को राजकीय पक्षी घोषित किया गया था
प्राणियों और पक्षियों पर शिकार की पूर्ण रोक 24 अक्टू 1989 में लागू हुई
चातक पक्षी प्रदेश में अफ्रीका महाद्वीप से आता है
विंग्स फ्लोवर पक्षी नर्मदा के किनारें पायें जाते है
जुई बुलबुल पक्षी सतपुडा पर्वतीय क्षेत्र में पाया जाता है
ईकों पर्यटन विकास बोर्ड की स्थापना 12 जलाई 2005 को हुई
गिद्ध की गणना 2013 में प्रारम्भ हुई
म.प्र के 6 उद्यान और 1 अभ्यारण में टाइगर प्रोजेक्ट लागू है(कुल 7 है)
म.प्र में कुल 11 राष्ट्रीय उद्यान है कान्हा 1955 में पहला था
बोरी घाटी अभ्यारण में सर्वाधिक सागौन के वृक्ष है
प्रदेश में देश का 41 % वृक्ष पाये जाते है
माधव राष्ट्रीय उद्यान ग्वालियर संभाग में पाया जाता है,
पेंच राष्ट्रीय उद्यान का अन्य नाम इंन्दिरा गाँधी प्रियदर्शनी उद्यान है
सिरपुर पक्षी अभ्यारण इंदौर जिले में है
म.प्र के भोज बेटलेण्ड भोपाल को रामसर स्थल घोषित किया गया था 1990 में
म.प्र में 27% वन क्षेत्र है जिसमें उद्यान और अभ्यारण 11% है
भारत का 10% टाइगर रिजर्व म.प्र में है
वन परियोजना के लिये विश्व बैंक की सहायता प्राप्त हुई है
बगदरा अभ्यारण्य 1978 में सीधी जिले में घाषित किया गया है
. पनपठा अभ्यारण्य खुजराहों छतरपुर में है
कछुओं की दर्लभ प्रजाती सोन नदी में पाई जाती है
फेन अभ्यारण्य मंडला में है
बगदरा और संजय अभ्यारण्य सीधी जिले में है
महादेव अभयारण्य को अब मूल शूटिंग रिजर्व बुलाया जाता है
खेओनी अभयारण्य देवास मे है तथा इसके बीच से बाणगंगा नदी बहती है
जीवाश्म पार्क लगभग 40 से 150 मिलियन साल पुराना है
बाधंवगढ को खेल रिर्जव घोषित किया गया है ये रीवा में महाराजा का था
भारत का सबसे पुराना जंगल बोरी वन्यजीव अभयारण्य मे पाया जाता है
अचानकमार अभ्यारण्य अनूपपुर में है
कई प्रकार की चट्टान नरसिहंगढ़ अभयारण्य में पायी जाती है
कूनों अभयारण्य मुरैना में है
करेरा की स्थापाना 1981 में की गई थी
पक्षी देखने के लियें सतपुडा पार्क सबसे सही होगा अधिक पक्षी पाये जाते है यहाँ प
म.प्र का पहला वन्य जीवन जागरूकता केन्द्र रालामंडल इंदौर में है
व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर सतना में चालू की गई है
नर्मदा नदी पर दुशाख से बना द्वीप है जिसके निकट ओंमकार मंधाता का मंदिर है
कुंआरी नदी का उद्गम शिवपुर पठार से हुई है
ग्वालियर क्षेत्र इंडोगंगैटिक मैदान के अन्तरर्गत आती है
महादेव पर्वत श्रृंखलां पूर्वी विस्तार है सतपुडा पर्वत का
शहडोल जिला बघेलखण्ड पठार के अन्तर्गत आता है
पुरणा नदी ताप्ती की सहायक नदी है
म.प्र के बाहर नर्मदा नदी की लम्बाई 235 किलोमीटर है
नमोदोस नाम नर्मदा को टालमी ने दिया था
जनकेश्वर महादेव मंदिर चम्बल नदी के उद्गम स्थल पर है
प्रणहिता संगम बेलगंगा और वर्धा नदी पर है
मण्डला नगर नर्मदा नदी के द्वारा कुण्डली की तरह पुरी तरह से घेर लेती है
नर्मदा नदी के उद्गम स्थल के सर्वाधिक निकट जलप्रपात कपिलधारा है जो वे
जबकि दुग्ध धारा 100 किलोमीटर की दूरी पर धुआधार जबलपुर के निकट है
आकाशमक बाढ सोन नदी में आ जाती है
सोन नदी का अपवाह क्षेत्र लगभग 17900 वर्ग मी है
बेतवा नदी रायसेन जिले के कुमरागॉवं से निकलती है
कालीभीत पहाडियाँ से तवा नदी का उद्गम होता है
देवास के बागली गाँव से कालीसिंध नदी निकलती है
सिंध नदी गुना के सिरोज से निकलती है
बैनगंगा नदी पारसवाडा पठार से निकलती है
आवना और सुक्ता नदी से छोटी तवा नदी का निर्माण होता है
म.प्र की अधिकांश नदिया उत्तर दिशा की और बहती है
नर्मदा का अवपाह क्षेत्र 93180 है
उत्खात स्थलाकृति का निर्माण चम्बल नदी द्वारा होता है
माताटीला, राजघाट बांध बेतवा नदी पर है
धार नर्मदा नदी के किनारे पर है
रामघाट क्षिप्रा नदी का तट है
महर्षि जमदग्नि महर्षि का आश्रम चम्बल नदी के उद्गम स्थल पर है
नर्मदा>चम्बल> सोन>ताप्ती> बेतवा ये म.प्र की नदियो का लम्बाई के अनुशार
हलाली नहर बेतवा नदी से निकलती है
मध्यभारत के पठार में नदिया प्रया: उत्तर और पश्चिम दिशा में बहती है
सोन की लबांई 780 मी है0
वर्धा नदी का उद्गम स्थल बैतूल है
मन्धार जलप्रपात नर्मदा नदी पर है
एरण अभिलेख बीना नदी के किनारे पर है
संजय सरोवर योजना वेंनगंगा नदी पर है
काकरीवडी पहाड़ियों से शिप्रा नदी का उद्गम होता है
केवई नदी सोन नदी में मिलती है
युमना और चंबल नदिया लश्कर के मैदान की सीमा बनाती
माही नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है
वैनगंगा नदी दक्षिण की और बहती है
पैंच नदी गोदावरी की सहायक नदी है
म.प्र और उ.प्र की सीमा का निर्धारण जामनी नदी करती है
हलाली जलाशय थाल नदी पर है
बरोदिया चंबल की सिंचाई नहर है
इंद्रावती की घाटी में गोदावरी नदी बहती है
नर्मदा ओर सोन नदी मैकाल से उत्पन्न होती है
नर्मदा नदी पर 30 बडे बाध है
गंगा में सोन नदी सीधे मिलती है
हमीरपुर में बेतवा और नदी मिलती है
मान, बारना त्या सुमार नर्मदा की सहायक नदी है
बलान पर रिच्छन और केसरी ये सभी ऊपरी बे. हे
जमनी नदी का उद्गम सागर जिला है
टोसं नदी सतना जिले में है
ओंकारेश्वर में नर्मदा और कावेरी नदी मिलती है
बनास नदी चंबल की सहायक नदी है,
अजयगढ़ किला से केन नदी को देखा जा सकता है
अंजार नदी राजगढ़ जिले में है
रानेह झरना केन और खद्दर नदी द्वारा बनाया गया हे
बीना और हासन नदियां बेतवा की सहायक नदिया है
दशकाय वृद्धि 20.30 हुइ
सर्वाधिक जनसख्या घनत्व भोपाल, तथा डिण्डोरी सबसे कम है
सर्वाधिक साक्षरता जबलुपर तथा कम अलीराजपुर की है
सर्वाधिक पुरूष साक्षरता इंदौर तथा कम अलीराजपुर
सर्वाधिक महिला साक्षरता भोपाल तथा कम अलीराजपुर
देश में जनसंख्या क्रम में 5 वा स्थाना है तथा देश की कुल आबादी का 6 प्रति करती है
लिगानुपात बालाघाट का ज्यादा तथा भिण्ड का कम है
सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि इंदौर में हुई
सवाधिक जनसंख्या इंदौर की है जबकि जनसंख्या घनत्व भोपाल का ज्यादा है
क्षेत्रफल मे सबसे छोटा जिला दतिया है सबसे बड़ा छिदवाडा है
न्यूनतम जनसंख्या आगर-मालवा की है उसके बाद हरदा है
सर्वाधिक ग्रामीण जनसंख्या डिण्डोरी तथा न्यूनतम भोपाल हे
सर्वाधिक एसटी धार तथा कम भिण्ड है
सर्वाधिक एससी इंदौर तथा कम झाबुआ में है
सर्वाधिक संभागवार वृद्धि इंदौर में हुई तथा कम नर्मदापुर
11 राष्ट्रीय उद्यान तथा 31 से अधिक राष्ट्रीय अभ्यारण है तथा 6 म पाजेक्ट को
प्रोजेक्ट टाइगर के भारत में जन्मदाता कैलाश सांखला को माना जाता है
सरदारपुर अभ्यारण धार में खरमौर पक्षी के लिये है
बांधवगढ़ राष्ट्रीय अभ्यारण का घनत्व ज्यादा है शेरों की दृष्टि से
हालोंघाटी तथा बंजर घाटी कान्हा किसली में है
बाघो की संख्या 308 है तथा म.प्र का स्थान 3 रा है
सरदारपुर अभयारण्य में दूधराज हेतु सरंक्षण है
टाइगर फाउण्डेशन सोसायटी की स्थापना 1997 में हुई
1नबम्बर 1981 में राज्य पक्षी राज्य पशु घोषित किया गया था
जार्ज कैसल भवय-भवन माधव राष्ट्रीय उद्यान में है
कान्हा किसली मण्डला में है तथा संजय सीधी में है
कान्हा की स्थाप 1955 में की गई थी प्रोजेक्ट टाइगर की शुरूआत 1973 में हुई
सिरपुर तालाब इंदौर में है
बगदरा अभ्यारण्य सीधी में है तथा गाँधी सागर मंदसौर में है
पनपठा अभ्यारण्य शहडोल में तथा सिंधोरी रायसेन में है
सैलाना अभ्यारण्य रतलाम में तथा गंगऊ पन्ना में है
कालीभीत बैतूल में प्रस्तावित है भालू के लिए
मान्धाता ओकारेशवर खण्डवा में है
सुरमानिया खण्डवा तथा कठ्ठीवाडा अलीराजपुर में है
तुमैन अभिलेख अशोक नगर में तथा सुपिया का लेख रीवा में है
सारो-मारों अभिलेख तथा पानगुडारिया -सीहोर में है
सिगार चोटी मालवा के पठार में है तथा कर्क रेखा इसके बीचों बीच से गुजरती है
सिद्धबाबा बुन्देलखण्ड की सबसे ऊंची चोटी है
कर्क रेखा 14 जिलों से होकर गुजरती है
म.प्र में 5 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है सर्वाधिक उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी है
. प्रथम विद्युत परियोजना गाँधी सागर बांध पर चम्बल नदी पर है
मालवा की गंगा क्षिप्रा को कहा जाता है
पूर्व की और बहती है जोहिला नदी
उत्तर की ओर – चम्बल,बेतवा,सोन, केन
पश्चिम की ओर- माही, नर्मदा, ताप्ती
दक्षिण की ओर- बेनगंगा, पेंच, वर्धा आदि
दतिया सिन्ध नदी के किनारे पर है
सोनकच्छ -कालीसिंध तथा रीवा -विछिया , इंदौर – खन नदी ग्वालियर-स्वार्ग ने
देवास काली सिंध नदी निमाड -नर्मदा ,रतलाम-चम्बल ‘नर्द
सोन,नर्मदा-अमरकंटक से निकलती है जो अनूपपुर में है
सिधं नदी सिरोंज(विदिशा) से निकलती है, धसान नदी रायसेन जिले से निकलता
साटक नदी खरगोन से निकलती है नर्मदा में मिल जाती है
यमुना में मिलती है-चम्बल,बेतवा, केन, सिंध
नर्मदा मं मिलती है-गार,कुंदा, साटक आदि
चम्बल में मिलती है-कालीसिंध, क्षिप्रा, पार्वती, कूनों,
नर्मदा 1312> चम्बल 965> सोन 780> ताप्ती 724> बेतवा 480
टोंस कैमून पहाडी सतना से निकलती है
कपिलधारा तथा दुग्ध धारा जल प्रपात अनुपपुर में नर्मदा नदी पर है
सहस्रधारा नर्मदा नदी पर खरगोन जिलें में
मांधार जल प्रपात नर्मदा पर बढवाह में है
बहुटी और केवटी जल प्रपात रीवा में है
भाल कुण्ड राहतगढ़ सागर में बीना नदी पर है
दर्दी जल प्रपात नर्मदा नदी पर बड़वाह में है
पियवन प्रपात रीवा मे है
केन नदी का प्राचीन नाम दिर्णवती है
सोन नदी का प्राचीन नाम बेवा तथा वैया है
वर्तमान सिचाई 36 लाख हैक्टेयर है तथा सिचाई का औसत 36 प्रतिशत है
कुँओं से सर्वाधिक सिचाई पश्चिम क्षेत्र में होती है कम सिंचाई वाला जिला डिण्ड
स्थान है सिंचित क्षेत्रफल में देश के अदंर
इंदिरा सागर परियोजना का शिलान्यास 1984 में हुआ था
केन-बेतवा लिक परियोजना पन्ना राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुजरेगी
माही परियोजना धार जिले में है
कुएँ से सिचाई 66.98 है
राजघाट बांध बेतवा पर है देजला बॉध कुंदा नदी पर
हलाली नहर बेतवा नदी पर है रायसेन ओर विदिशा जिले में है
देजना-देवाडा नहर कुंदा नदी पर खरगोन में है
माही नहर झाबुआ और धार जिले में है
नर्मदा की सहायक नदिया 41 है
जोबट परियोजना हथनी नदी पर है धार जिलें में
अपर वेदा परियोजना खरगोन में है
बाणसागर परियोजना सोन नदी पर रीवा,सीधी, लाभान्वित है
ग्रेटर गगंउँ बहुउद्देशीय परियोजना केन नदी पर छतरपुर तथा पन्ना जिले लाभानि
अपर नर्मदा डिण्डोरी जिले में है
गोई बडवानी जिले में तथा हालोन मण्डला जिले में है
मान धार जिले में हे तथा सिंहपुर बैराज उर्मिल नदी पर
ऊपरी बेनगंगा संजय सरोवर परियोजना बालाघाट , सिव. .त है
थाँवर परियोजना मण्डला में है
कोलार परियोजना सीहोर जिले में तथा माही धार जिले में है
सुक्ता खण्डवा में है
नरगँवा परियोजना केन नदी पर छतरपुर में है
चोरल इंदौर में है
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